Saturday, January 2, 2010

सावधान! आत्महत्या की धमकी कहीं आपको जुदा न कर दे

सुजीत कुमार, नई दिल्लीFirst Published:02-01-10 05:05 PM
02-01-10 05:06 PM
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भारत में तलाक की दर मात्र 1.1 फीसदी है जो विश्व में न्यूनतम है। लेकिन जीवन शैली और सोच में बदलाव के कारण तलाक की दर में लगातार बढ़ोतरी का रुझान देखा जा रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए तलाक संबंधी कानून को लगातार विस्तार प्रदान किया जा रहा है। बंबई उच्च न्यायालय ने अपने ताजा फैसले में आत्महत्या की बार-बार धमकी देने को भी तलाक लेने के लिए अहम कारण माना है।

अदालत ने कहा कि बार-बार आत्महत्या की कोशिश करना या ऐसा करने की धमकी देना भी क्रूरता के समान है और इसे तलाक हासिल करने की एक ठोस वजह माना जा सकता है।

उच्च न्यायालय ने एक पारिवारिक अदालत के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई करते हुए यह व्यवस्था दी। पारिवारिक अदालत ने इस मामले में पति के हक में फैसला सुनाया था, जिसने इस आधार पर अपनी पत्नी से तलाक मांगा था कि वह बहुत गुस्सैल है, उससे झगड़ा करती है और आत्महत्या करने की धमकी देती है। दोनो पिछले 17 वर्ष से अलग रह रहे हैं।

पुणे की पारिवारिक अदालत ने 2002 को तलाक की इजाजत दे दी थी। पत्नी ने इसी फैसले के खिलाफ अदालत में अपील की थी। पारिवारिक अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान पत्नी ने स्वीकार किया था कि उसने दो बार आत्महत्या करने का प्रयास किया।

पारिवारिक अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि आत्महत्या की धमकी देना और आत्महत्या का प्रयास करने का अपीलकर्ता का व्यवहार कानून में मानसिक हिंसा की श्रेणी में आता है। न्यायमूर्ति एसए बोब्दे और एसजे कथावाला ने कहा कि ऐसे हालात में एक पति से अपनी पत्नी के साथ रहने की उम्मीद नहीं की जा सकती।

हिंदू विवाह अधिनियम-1955 के तहत तलाक के कई अन्य आधारः-

1. व्याभिचारः विवाहेत्तर संबंध रखने के आधार पर तलाक की मांग की जा सकती है। 1976 में किए गए सुधार के बाद यह एकमात्र कारण तलाक लेने के लिए काफी है।

2. क्रूरता- किसी भी प्रकार के मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना के आधार पर भी वादी अदालत में तलाक की गुहार लगा सकता है। क्रूरतापूर्ण व्यवहार का आधार कोई एक घटना नहीं, बल्कि घटनाओं का क्रम होना चाहिए। इसके अंतर्गत विकृत सेक्स व्यवहार को भी शामिल किया गया है।

3. परित्याग- अगर पति-पत्नी में से कोई बिना किसी सूचना के 2 साल के लिए छोड़ देता है तो दूसरा तलाक की अर्जी दे सकता है।

4. धर्म परिवर्तन- अगर पति-पत्नी में से कोई अपना धर्म परिवर्तन कर लेता है तो इसके आधार पर भी तलाक लिया जा सकता है।

5. बीमारी- किसी जानलेवा बीमारी जैसे मानसिक कमजोरी, कोढ़ या संक्रामक रोग से पीड़ित होने पर भी दूसरा तलाक ले सकता है।

6. जिंदा होने पर संशयः अगर सात साल तक कोई गायब हो और उसके जिंदा होने पर संशय लगातार सात साल तक कायम रहे तो इस आधार पर भी तलाक ली जा सकती है।

7. साथ नहीं रहनाः अगर कोर्ट के साथ रहने के आदेश के बाद भी पति या पत्नी में से कोई साथ रहने से इनकार करते हैं तो इस आधार पर भी तलाक लिया जा सकता है। इसमें पति द्वारा पत्नी को दिया जाने वाले खर्च देने में अक्षमता भी शामिल है।

विभिन्न देशों में तलाक संबंधी आंकड़े प्रतिशत में:-

स्वीडन- 54.9
अमेरिका-54.8
रुस- 43.3
ग्रेट ब्रिटेन- 42.6
जर्मनी- 39.4
सिंगापुर- 17.2
इजरायल- 14.8
श्रीलंका- 1.5