8 Sep 2009, 1716 hrs IST,एजेंसियां अहमदाबाद ।। गुजरात सरकार ने इशरत जहां केस की न्यायिक जांच रिपोर्ट को खारिज करते हुए इसे ऊंची अदालत में
चुनौती देने का फैसला किया है। उसने मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट एस. पी. तमांग पर न्यायाधिकार की हद से बाहर कदम उठाने का भी आरोप लगाया है। रिपोर्ट में गुजरात पुलिस पर आरोप लगा है कि उसने जून 2004 में कॉलेज स्टूडेंट इशरत जहां और उसके तीन दोस्तों जावेद गुलाम उर्फ प्रनेश कुमार पिल्लई, अमजद अली उर्फ राजकुमार अकबर अली राणा और जीशान जौहर अब्दुल गनी को फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया था। पुलिस का कहना है कि ये लोग लश्कर-ए-तैबा से जुड़े थे और सीएम नरेंद्र मोदी को मारना चाहते थे। गुजरात सरकार ने कहा है कि केंद्र को भी पता था कि इन लोगों का टेरर लिंक है। चारों के बारे में भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था, जिसमें कहा गया था कि ये लोग लश्कर से जुड़े हैं। यह हलफनामा इशरत की मां शमीना की याचिका पर सुनवाई के दौरान दाखिल किया गया था। राज्य सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री जयनारायण व्यास ने कहा कि जांच रिपोर्ट कानूनसम्मत नहीं है और इसलिए राज्य सरकार इसे चुनौती देगी। उन्होंने कहा कि जांच में इस मामले में जो धाराएं लगाई गई हैं वह तर्कसंगत नहीं हैं। व्यास अचंभित हैं कि मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट कैसे मामले की जांच को आगे बढ़ा सकते हैं जबकि 13 अगस्त 2009 को गुजरात हाई कोर्ट ने इसके लिए एक उच्च स्तरीय पुलिस जांच का आदेश दे दिया था। इसके लिए 30 नवंबर तक का समय निर्धारित किया गया था।
Wednesday, September 9, 2009
'फर्जी मुठभेड़ में हुई थी इशरत की मौत'
Sep8, 2009, 1030 hrs IST,नवभारत टाइम्स शेयर सेव कमेन्ट टेक्स्ट:
अहमदाबाद ।। गुजरात सरकार को करारा झटका देते हुए एक न्यायिक जांच में कहा गया है कि इशरत जहां की हत्या फर्जी एंकाउंटर मे हुई है। जांच के अनुसार कॉलेज में पढ़ने वाली लड़की इशरत जहां और तीन अन्य को संदिग्ध रूप से मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या के मिशन पर बताकर 2004 में की गई उनकी हत्या दरअसल पुलिस की फर्जी मुठभेड़ का मामला था। मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट एस.पी. तमांग की जांच रिपोर्ट सोमवार को यहां मेट्रोपॉलिटन अदालत में जमा कराई गई। इसमें कहा गया है कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर ए तैबा से भी संबंधित बताकर पुलिस ने इन चारों की नृशंस तरीके से हत्या की। मैजिस्ट्रेट तमांग ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि चारों का आतंकवादी संगठन लश्कर ए तैबा से कोई संबंध नहीं था। उल्लेखनीय है कि मुंबई की रहने वाली 19 वषीर्य इशरत जहां और तीन अन्य व्यक्ति जावेद गुलाम शेख उर्फ प्रणेश कुमार पिल्लई, अमजद अली उर्फ राजकुमार, अकबर अली राना और जीशान जौहर अब्दुल गनी को 15 जून, 2004 को पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया गया था। क्राइम ब्रांच के तत्कालीन चीफ डी.जी. वंजारा ने तब दावा किया था कि इन चारों का लश्कर-ए-तैबा से संबंध था और ये मोदी की हत्या के मिशन पर आए थे। सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मामले में मुख्य अभियुक्त वंजारा फिलहाल सलाखों के पीछे है।गुजरात हाई कोर्ट ने इशरत जहां मुठभेड़ मामले में आगे की जांच-पड़ताल के लिए बीते माह अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था। इशरत की मां शमीना की याचिका पर यह समिति गठित की गई थी। शमीना ने आरोप लगाया था कि गुजरात पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ में उनकी बेटी को मार गिराया। मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के शासनकाल में सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मामले के बाद इस तरह का यह दूसरा मामला है जिसकी जांच दोबारा कराई जा रही है। न्यायिक जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस अधिकारियों और उनके मातहतों ने अपने सर्विस रिवॉल्वर्स का इस्तेमाल करते हुए चारों की नृशंस तरीके से हत्या कर दी। मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट एस.पी.तमांग की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि मुठभेड़ फर्जी थी। चारों को पॉइंट ब्लैंक रेंज से गोली मारी गई। यहां तक कि पोस्टमॉटर्म रिपोर्ट के मुताबिक चारों की मौत गोलियां लगने से हुई।
अहमदाबाद ।। गुजरात सरकार को करारा झटका देते हुए एक न्यायिक जांच में कहा गया है कि इशरत जहां की हत्या फर्जी एंकाउंटर मे हुई है। जांच के अनुसार कॉलेज में पढ़ने वाली लड़की इशरत जहां और तीन अन्य को संदिग्ध रूप से मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या के मिशन पर बताकर 2004 में की गई उनकी हत्या दरअसल पुलिस की फर्जी मुठभेड़ का मामला था। मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट एस.पी. तमांग की जांच रिपोर्ट सोमवार को यहां मेट्रोपॉलिटन अदालत में जमा कराई गई। इसमें कहा गया है कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर ए तैबा से भी संबंधित बताकर पुलिस ने इन चारों की नृशंस तरीके से हत्या की। मैजिस्ट्रेट तमांग ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि चारों का आतंकवादी संगठन लश्कर ए तैबा से कोई संबंध नहीं था। उल्लेखनीय है कि मुंबई की रहने वाली 19 वषीर्य इशरत जहां और तीन अन्य व्यक्ति जावेद गुलाम शेख उर्फ प्रणेश कुमार पिल्लई, अमजद अली उर्फ राजकुमार, अकबर अली राना और जीशान जौहर अब्दुल गनी को 15 जून, 2004 को पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया गया था। क्राइम ब्रांच के तत्कालीन चीफ डी.जी. वंजारा ने तब दावा किया था कि इन चारों का लश्कर-ए-तैबा से संबंध था और ये मोदी की हत्या के मिशन पर आए थे। सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मामले में मुख्य अभियुक्त वंजारा फिलहाल सलाखों के पीछे है।गुजरात हाई कोर्ट ने इशरत जहां मुठभेड़ मामले में आगे की जांच-पड़ताल के लिए बीते माह अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था। इशरत की मां शमीना की याचिका पर यह समिति गठित की गई थी। शमीना ने आरोप लगाया था कि गुजरात पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ में उनकी बेटी को मार गिराया। मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के शासनकाल में सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मामले के बाद इस तरह का यह दूसरा मामला है जिसकी जांच दोबारा कराई जा रही है। न्यायिक जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस अधिकारियों और उनके मातहतों ने अपने सर्विस रिवॉल्वर्स का इस्तेमाल करते हुए चारों की नृशंस तरीके से हत्या कर दी। मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट एस.पी.तमांग की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि मुठभेड़ फर्जी थी। चारों को पॉइंट ब्लैंक रेंज से गोली मारी गई। यहां तक कि पोस्टमॉटर्म रिपोर्ट के मुताबिक चारों की मौत गोलियां लगने से हुई।
'इशरत के टेरर लिंक थे, पर एन्काउंटर जायज नहीं'
ep 2009, 1838 hrs IST,पीटीआई नई दिल्ली।। केंद्र सरकार ने कहा है कि वह इस बात पर कायम है कि इशरत जहां और उसके दोस्तों के टेरर लिंक थे लेकिन आतंकवादियों की निर्मम हत्या को वह जायज नहीं मानती। इशरत जहां और उसके तीन दोस्तों के गुजरात पुलिस द्वारा किए गए एनकाउंटर पर उठे सवाल के बीच होम सेक्रटरी ने कहा है कि चारों को संदिग्ध आतंकावादी बताने वाले अपने ऐफिडेविट पर केंद्र कायम है।होम सेक्रटरी जी.के. पिल्लई ने कहा,'जो तथ्य हमारे पास थे उसका जिक्र ऐफिडेविट में किया गया है। हम इससे पीछे नहीं हट रहे हैं।' इतना कहने के साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि आतंकवादियों की सीधे हत्या नहीं की जा सकती । जाहिर है वह संकेत देने की कोशिश कर रहे थे कि कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए। पिल्लई ने यह साफ किया कि इशरत और उसके साथियों के एन्काउंटर में कोई भी केंद्रीय एजेंसी शामिल नहीं थी। उन्होंने कहा कि एन्काउंटर फर्जी था या नहीं, यह तय करना होम मिनिस्टरी का काम नहीं है। इसका फैसला कोर्ट को करना था।गौरतलब है कि एक जूडिशल रिपोर्ट में इशरत जहां और उसके दोस्तों के एन्काउंटर को फर्जी करार दिया गया था। इसके बाद गुजरात सरकार ने मंगलवार को रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए इसे ऊपरी अदालत में चुनौती देने की बात कही थी। साथ ही यह भी कहा था कि केंद्र को भी पता था कि इन लोगों का टेरर लिंक है। चारों के बारे में भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ऐफिडेविट दाखिल किया था, जिसमें कहा गया था कि ये लोग लश्कर से जुड़े हैं। यह ऐफिडेविट इशरत की मां शमीना की याचिका पर सुनवाई के दौरान दाखिल किया गया था।
ep 2009, 1838 hrs IST,पीटीआई नई दिल्ली।। केंद्र सरकार ने कहा है कि वह इस बात पर कायम है कि इशरत जहां और उसके दोस्तों के टेरर लिंक थे लेकिन आतंकवादियों की निर्मम हत्या को वह जायज नहीं मानती। इशरत जहां और उसके तीन दोस्तों के गुजरात पुलिस द्वारा किए गए एनकाउंटर पर उठे सवाल के बीच होम सेक्रटरी ने कहा है कि चारों को संदिग्ध आतंकावादी बताने वाले अपने ऐफिडेविट पर केंद्र कायम है।होम सेक्रटरी जी.के. पिल्लई ने कहा,'जो तथ्य हमारे पास थे उसका जिक्र ऐफिडेविट में किया गया है। हम इससे पीछे नहीं हट रहे हैं।' इतना कहने के साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि आतंकवादियों की सीधे हत्या नहीं की जा सकती । जाहिर है वह संकेत देने की कोशिश कर रहे थे कि कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए। पिल्लई ने यह साफ किया कि इशरत और उसके साथियों के एन्काउंटर में कोई भी केंद्रीय एजेंसी शामिल नहीं थी। उन्होंने कहा कि एन्काउंटर फर्जी था या नहीं, यह तय करना होम मिनिस्टरी का काम नहीं है। इसका फैसला कोर्ट को करना था।गौरतलब है कि एक जूडिशल रिपोर्ट में इशरत जहां और उसके दोस्तों के एन्काउंटर को फर्जी करार दिया गया था। इसके बाद गुजरात सरकार ने मंगलवार को रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए इसे ऊपरी अदालत में चुनौती देने की बात कही थी। साथ ही यह भी कहा था कि केंद्र को भी पता था कि इन लोगों का टेरर लिंक है। चारों के बारे में भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ऐफिडेविट दाखिल किया था, जिसमें कहा गया था कि ये लोग लश्कर से जुड़े हैं। यह ऐफिडेविट इशरत की मां शमीना की याचिका पर सुनवाई के दौरान दाखिल किया गया था।
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