खुली आंखों में सपना झांकता है
वो सोया है कि कुछ कुछ जागता है!
तेरी चाहत के भीगे जंगलों में
मेरा तन, मोर बन कर नाचता है
मुझे हर कैफियत में क्यूँ न समझे
वो मेरे सब हवाले जानता है
मैं उसकी दस्तरस में हूँ, मगर वोह
मुझे मेरी रज़ा से माँगता है
किसी के ध्यान में डूबा हुआ दिल
बहाने से मुझे भी टालता है
सड़क को छोड़ कर चलना पडेगा
कि मेरे घर का कच्चा रास्ता है
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