Friday, September 11, 2009

रखे-रखे सड़ गया 5,300 टन गेहूं

रखे-रखे सड़ गया 5,300 टन गेहूं
11 Sep 2009, 0812 hrs IST,टाइम्स न्यूज नेटवर्क नई दिल्ली ।। यह एक ऐसी बर्बादी है जो देश को काफी महंगी साबित हो सकती है। ऐसे साल जब देश के एक बड़े हिस
्से में सूखे की स्थिति से खरीफ की फसल पर बुरा असर पड़ सकता है, देश के कई हिस्सों में खाद्यान्नों की बर्बादी की खबरें हैं। ऐसा स्टोरेज की कमी और एक जगह से दूसरी जगह लाने-ले जाने की लचर व्यवस्था के कारण है। पंजाब के तरन तारन में करीब 5,300 टन गेहूं, जिसकी कीमत करीब 5 करोड़ रुपये होगी, अधिकारियों की उपेक्षा से सड़ चुका है। यह जानवरों के खाने लायक भी नहीं रह गया है इसलिए अब इसे फर्टिलाइजर बनाने के लिए नीलाम किया जाएगा। यह गेहूं करीब 30,000 लोगों के लिए एक साल की रोटी के काम आ सकता था। रिपोर्टों के मुताबिक, राज्य सरकार ने यह गेहूं 2006-07 में खरीदा था और इसे एस. के. राइस मिल के कॉम्प्लेक्स में स्टोर किया गया था। गेहूं के बोरे जिस लकड़ी के बेस पर रखे थे, उसने बारिश के मौसम में कीड़ों के पनपने के लिए रास्ता खोल दिया। इससे पानी से सुरक्षा के लिए लगाया गया तरपाल कवर भी बेकार हो गया और गेहूं पूरी तरह कीड़ों के हवाले हो गया। जिले के फूड ऐंड सिविल सप्लाई कंट्रोलर राकेश कुमार सिंगला ने बताया कि गेहूं सड़ चुका है और अब जल्दी ही इसकी नीलामी की तारीख का ऐलान कर दिया जाएगा। अन्न की बर्बादी का यह अकेला मामला नहीं है। 21 अगस्त को टाइम्स ऑफ इंडिया ने खबर दी थी कि चंडीगढ़ से 50 किलोमीटर दूर खमानू में गेहूं के लाखों बैग, जो 50-50 किलो के थे, खुले में रखे जाने से खराब हो चुका है। एक किसान गुरमीत सिंह (72) ने बताया कि पिछले दो साल में मैंने किसी को भी इस गेहूं को ढकते हुए नहीं देखा है। एक सवाल के जवाब में बीती 4 अगस्त को संसद में केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने कुछ आंकड़े जारी किए थे। इसके मुताबिक, इस वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में ही देश में गेहूं और चावल का करीब 0.62 पर्सेंट स्टॉक लाने-ले जाने और खराब स्टोरेज के कारण बर्बाद हो चुका है।हालांकि फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की स्टोरेज सुविधाएं आमतौर पर अच्छी हैं, पर एग्रीकल्चर एक्सपर्ट्स के मुताबिक राज्यों की वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशनें अक्सर न्यूनतम सुरक्षा उपाय भी नहीं अपनातीं। अन्न की बर्बादी का एक बड़ा कारण गोदामों की कमी का होना है। उड़ीसा में यह समस्या ज्यादा गहरी है। वहां स्टोरेज सुविधाएं ना होने से ना तो राज्य सरकार ज्यादा खरीद कर पाती है और ना ही किसान माल सही मात्रा में बेच पाते हैं। बिहार में चावल का सरप्लस है पर गोदामों की कमी वहां बड़ा संकट है।

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